रविवार, 14 अगस्त 2011

rajniti?

 *****राजनीति *****
हर नेता लगता यहाँ लगता बुझा हुआ हथियारहै
राज नीति  में सब जायज होता 
  इनकीसारे बने चाणक्य का अवतार हैं ?
  शह भी इनकी मात भी इनकी
राजनेता बनेशैतानियत के अवतारहैं
  देशभक्ति नेताओ मेंमिलती कहाँ?
 राजनीती तो नेताओं की बाज़ार है
   कथनी करनी मेंअंतर बड़ा ,
 सब नेताओको बस  लूट से सरोकार है
    चमचे और नेताओ के एजेंटों का जाल फैला,
   हर मुंजी उनका शिकार है
भ्रष्ट नेताकानून बनाते बिगाड़ते,
कोर्ट कचहरी सब उनके लाचार है
  बाज़ार  विधायक ,सांसद,मंत्री 
  सभी बिकते ,यहाँ पूंजीपतियों काफैला बाज़ार है
     आतंकवाद ,कट्टरपंथ राजनीती की कमजोरी ,
 तुष्टिकरण की नीति बरकरार है?
  फूट डालो राज करो अंग्रेजों कागुरुमंत्र ही सरकार है
 कवि ,लेखक ,पत्रकार जरूरत सेज्यादा चुप्पी साधें ,
 बंदरों सेसोंचें मों न रहना स्वीकार है,
        गाँधी के बंदरोंसेहम सबजी रहे
     डर दहशत सबमे है,
पत्रकार ,मिडिया पैसों का चमचा 
     हरजगह पैसे की दरकार है?
सपने में नाजाने क्या क्याबडबडा रहा था ,
क्यासही क्यागलत बोलो कैसे विचार है?