गुरुवार, 16 जून 2011

aakhir kb tak?

मुर्दों का है देश ,यहाँ जुर्म के खिलाफ कोई भी सर नही उठता?
सेकड़ों साल गुलाम रहेफिर भी ,हम हर फेसला उनकी मर्जी का लेते?
हमे हर बात मेविदेश ही सुहाता?
पीने का पानी मिले न मिले?
खाने को रोटी मिले न मिले न सही ?
मुर्दों सी जिन्दगी जीते?७०% लोग?
उफ़ हाय हाय नही होती ?
भ्रष्टाचार के नये नये  आयाम चल रहे? 
नेता बेशर्म कुकर्म पे कुकर्म कर रहे?
हर आदमी अनेतिकता का लेखा जोखा 
इक था  करता ही  चला जाता है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें