narendra nirmohi
शनिवार, 18 जून 2011
ksk
इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म हुईं
समय हाथ से फिसला जाये?
बिन बादल सब शून्य है?
अखियाँ प्रभु दर्शन को
तरसी जाएँ ?
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