शुक्रवार, 17 जून 2011

RANA VANSHAJ

हम राणा प्रताप के वंशज 
भले ही दर दर की खाक भले ही छान लेंगे 
संघर्ष हमारा जारी रहेगा हर कभी न मानेगे ?
बदले की भावना  नही?गलती तुम्हारी तुम्हे 
सोचने पे मजबूर  कराते जायेंगे ?
सिसोदिया वंश के कुलदीपक हैं
अपनी कलम से दुश्मनों को घायल करते जायेंगे 
इर्ष्या देव्शका जहाँ नही ,देश प्रेम का संचार करेंगे 
निर्मोही बन हम जियेंगे
राष्ट्र  भक्ति का जज्बा हम मजबूत करेंगे?
देश से बढ़ कर कोई नही है ?
न आदमीं कुछ लाता न आदमी कुछ ले जाता 
हम हिंदी अपनी मातृभूमि के लिए 
अपना तन मन धन सब अर्पण करेंगे!


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