हम राणा प्रताप के वंशज
भले ही दर दर की खाक भले ही छान लेंगे
संघर्ष हमारा जारी रहेगा हर कभी न मानेगे ?
बदले की भावना नही?गलती तुम्हारी तुम्हे
सोचने पे मजबूर कराते जायेंगे ?
सिसोदिया वंश के कुलदीपक हैं
अपनी कलम से दुश्मनों को घायल करते जायेंगे
इर्ष्या देव्शका जहाँ नही ,देश प्रेम का संचार करेंगे
निर्मोही बन हम जियेंगे
राष्ट्र भक्ति का जज्बा हम मजबूत करेंगे?
देश से बढ़ कर कोई नही है ?
न आदमीं कुछ लाता न आदमी कुछ ले जाता
हम हिंदी अपनी मातृभूमि के लिए
अपना तन मन धन सब अर्पण करेंगे!
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