अच्छे लोग ज्यादा दिन,
जिन्दा नही रहते?
ऐसा किउं कर होता है ?
प्रभु तेरी लीला में गरीब ही ,
आखिर कियूं कर पिसता है ?
तू दुःख का निबाला गरीबों को थामता,
कियूं बात बात पे परिछन सा करता रहता है ?
गरीब तो बना ही दुःख सहने को ?
तू भी उसे ही दुखी कियूं करता रहता है?
कवि,पत्रकार,साहित्य मनीषियों को ,कियु ?
आजकल सत्ता का चमचा बना दिया ?
वो बस नेताओं के गुणगान ही करता ?
वो निर्मोही बन न जीता है?
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