शनिवार, 18 जून 2011

hindi

हिंदी विश्व में परिचय की मोहताज़  नही है 
हर देश विदेश की भाषा को समाहित करती 
 नदी ,पहाड़  ,वायु सी स्वछन्द 
,फूलों की खुशबु सी ,
सूरज ,चाँद की रौशनी सी ,
हर दिशा हर आँगन में चहके है ,
हिन्दू पवित्र संस्क्रति ,  संस्कृत की पुत्री,
हिंदी ,हर मन में चहके है
वैर नही किसी भाषा से ,
राजनीति का शिकार बनी हिंदी ,
कम्पुटर ,इन्टरनेट ,सोफ्ट वेयरों में भी
,अपना जादू फेंके है?
देश के ९५% लोग हिंदी बोलें समझें ,
फिर भी सत्ता के आखों में,
न जाने कियूं खटके है ?
कोई कहता पाश्चात्य भाषा की,
सोअत  बनी हिंदी अंग्रेजी  के दलाल,
हिंदी बाले ही हिंदी के दुश्मनों की,
आँखों में खटके है ?
जो खाते तो देश का, गाते विदेश का ,
जो इच्छा शकिती के आभाव में,
क्लिष्ट से क्लिष्ट शब्दों का चयन कर ,
जनता में हिंदी को झोंके है ,
बोल चाल की भाषा उन्हें समझ नही आती ,
वो हिंदी की टांग बारबार खेंचे है? 
विदेशों ने भी स्वार्थ में सही हिंदी  के,
महत्व ,उसकी वैज्ञानिकता को, स्वीकारा है
हिंदी १६८ देशों में कहते पढ़ी,पढाई जा  जा रही ,
हिंदी अपने वजन से ज्यादा रोटी सेके है 
खुश होने की बात है अब हिंदी ,
नेता ,सत्ता ,प्रशासन के गतिरोधों के बाद भी ,
हर विदेशी चेनलों पे भी ,२४ घंटे , आग सी धहके है?
विदेशों में गूगल पे हर देश में ,
हिंदी रूपांतरण के प्रयास हो रहे ,
हर देश हिंदी का दीवाना ,  फेसबुक क्या?
सेकड़ों चेनलों को हिंदी  ने ,
अपने प्यार स्नेह से ,अपने मोह में जकड़ा,
हिंदी सरल, सुशील सुकोमल  सभीकी,
अपनी आत्मिक प्रेम  भाषा बन उभरी  है
हर नेटवर्क पे ,अपना जवर्दस्त  प्रदर्शन  फेकें है
  हिंदी विज्ञापनों ने अरबों खरबों का,
  देश विदेश में काम  किया है ,
हिंदी कहती  हम दिल बेचते हैं गर कोई मोल ले ,
इस दिल का यही मोल है ,
कोई हंस के बोल ले ,कोई हंस के बोल ले 
निर्मोही अपनी मात्र भाषा के गुणगान करते नही थकता
  शायद सत्ता भी सत्य को स्वीकारे , 
हिंदी का अनमोल तोल तोल ले?

2 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदी माँ का देश का दर्द जहां १.३१ अ रब जनता समझती बोलती साड़ी विदेशी कम्पनिया अपने उत्पादन हिंदी में क्र करोड़ो अरबों कमाती २४ घंटे विदेशी चानले हिंदी कार्यकर्म दिखा दिखा अरबों कमा रही देश में कितने अंग्रेजी चैनल चलतेसरकार बता सकती सुनते देखते?फिर भी सरकार दुरंगी हिंदी को खत्म करना छाती?कियु?१६८ देशों में हिंदी पढ्यी जा रही है कियु?सबसे बड़ा उपभोगता भारत है सब यहा आना चाटे?सरकार कि मूर्खता हिंदी में नही अंग्रेजी में ५०% कम करती बँकांतक में हर देश हिंदी के सॉफ्ट वेयर वना रहा कियोकी ९०% आबादी हिंदी को बोलती समझती सरकार कि गैर जिम्मेवारी विश्व म चर्चा का विषय है सरकार देश कि है या विदेश कि वन्देमातरम

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    1. धार जिले अंग्रेजी के राज्य चला रखा है सरकार की उदासीनता बिकती है

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